उन्हें आपत्ति सूचना के निस्तारण के बाद पट्टे जारी किए जाएंगे।
2.
इन्होने यह भी स्वीकार किया कि जब आपत्ति सूचना को लेकर कोई आपत्ति नहीं आती है तो ऐसे में नियमानुसार उस भूखण्ड का अन्तरण (स्वामित्व) श्रीमती सरस्वतीदेवी के पक्ष में हो जाना चाहिये।
3.
सरकार के साथ मामले का कोई हल निकलता न देख सेना प्रमुख सर्वोच्च न्यायालय की शरण में चले गए हैं जबकि सरकार ने भी कैविएट (आपत्ति सूचना) दाखिल कर मामले में कोई फैसला देने से पहले न्यायालय से उसका पक्ष सुनने का अनुरोध किया है।
4.
इस पर अधिशासी अधिकारी द्वारा उसे पत्र. प्रदर्श पी. 23 अनुसार उत्तराधिकार प्रमाण-पत्र पेश करने का लिखा तो सरोज ने दिनांक 30-3-1996 को आवेदन-पत्र प्रदर्श पी. 24 के साथ मुख्त्यारनामा की फोटोकॉपी प्रदर्श पी. 25 प्रस्तुत कर उपर्युक्त भूखण्ड अपने नाम अन्तरित करने की प्रार्थना की जिस पर नगरपालिका द्वारा आपत्ति सूचना प्रदर्श पी. 26 जारी की गई।
5.
भगवानदास व उसकी पत्नी की बेऔलाद मृत्यु हो गई तो उपर्युक्त भूखण्ड अन्य किसी वारिस के नाम अन्तरित हो सकता था तब सरोज ने यह भूखण्ड अपने नाम अन्तरित करने का आवेदन किया तथा इसके साथ उसने मुख्त्यारनामा प्रदर्श पी. 25 प्रस्तुत किया था जिस पर आपत्ति सूचना प्रदर्श पी. 26 जारी की गई और इस सूचना पर किसी भी व्यक्ति ने सरोज के नाम भूखण्ड अन्तरित करने के लिये कोई आपत्ति दर्ज नहीं करवाई।